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खुद की बात खुद के साथ

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बड़ो के झगडे में बच्चों का नुकसान 🤔

अक्सर बड़ों के झगड़ों में बच्चों का हो जाता है नुकसान तरस /वंचित रह जाते हैं अपनों के प्यार से कोई माँ के प्यार से  कोई बाप के प्यार से,                       कोई दादा दादी के प्यार से                         कोई नाना नानी के प्यार से, कोई मामा मामी के प्यार से  कोई चाचा चाची के प्यार से,                        कोई चचेरे भाई बहन के प्यार से                         कोई पडोसी भाई बहन के प्यार से, हर कोई रह जाता है किसी ना किसी के प्यार से सिर्फ बड़ों के आपसी मनमुटाव से,                 जब बच्चा खुद बड़ा हो जायेगा बचपन से                 तब जान पायेगा की वंचित रहा वो किस किस के प्यार से दिल में उसके भी खटकते रहेंगे वो लोग बचपन से गलती किसकी थी कोई समझ ना पाया बचपन ...

खुद का शरीर सर्वप्रथम बाकि द्वितीय 🙏

मजबूत शरीर  होते हुए भी  नाराज हो जिंदगी से की कुछ नहीं है मेरे पास 👎  👎 तो 7 दिन ये काम करके देखो  पहले दिन = प्रण लो की दोनों आँखों पर पट्टी बंदकर रहोगे पुरे दिन रात तक आपको एहसाश हो जायेगा की आपके पास क्या है  दूसरे दिन = प्रण लो की दोनों या एक हाथ को भी पीछे बाँध कर काम करोगे 🤔 तीसरे दिन = दोनों कान में रुई डाल दो पुरे दिन के लिए, चौथे दिन = एक पैर से चलो पुरे दिन बैशाखी लेकर 🤔 पांचवा दिन = दोनों पैर की जगह बैशाखी से चलो  छठे दिन =बिना उंगलियों के काम करो पुरे दिन  और 6 दिन ये कर के समझ गए की आपके पास सब कुछ है  तो आपको 7वें की दिन जरुरत ही नहीं पड़ेगी आजमाने के लिए 😊  कुछ पंक्ति और  की 👎 कर पहचान अपनी खुद से, तेरा शरीर एक पूरी दुनिया है, हिफाजत कर उसको यूँ छोटी सी  पल भर की चिंता में  दफ़न ना कंप्यूर से भी तेज इस दिमाग़ को, मुस्किले आएंगी जाएंगी पर एक बार शरीर गया तो  कुछ वापस ना आएगा ना तू ना तेरे अपने  कहेँगे सारे तुझे ही की जो खुद का ना हुआ  वो हमारा क्या होता 🫣 इसलिए कर पहचान खुद से खुद की  तेरे...

आज दिन का सार

उठा सुबह चह चाहाती चिड़िया, सूरज की रोशनी पाँव पसारे हुए थी, उठकर नमन किया भगवान को की एक सुबह और जिंदगी mei ला दी मेरे, परिवार वाले सब उठ गए थे बच्चों के साथ खेलकर थोड़ा, फिर नाहा धोकर पूजा करके, नास्ता किया, श्रीमती जी ने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार किया  फिर हम साथ मैं चले अपना अपना थैला उठा कर बच्चे स्कूल और मै दफ्तर का, छोड़कर बच्चों को स्कूल, मै बैठा रिक्शा से होकर मेट्रो के रास्ते सीधे दफ्तर  रोज की तरह हजारों चेहरे दिखाई दिए आज भी कोई हँसता हुआ, कोई मायुश सा दिखा,  पहुँच कर दफ़्तर काम जो शुरू किया दिन का कुछ पता नहीं चल, पर आज एक चीज अजीब सी हुई  उबासी आ रही थी मुझे बार बार आज, कल से थोड़ा थी पर आज ज्यादा, पड़ा मैंने उसके बारे मैं जो तो पता चला ये बीमारी का रूप भी जो सकती है, धक्का सा लगा ये पढ़कर पर किसको बताऊ इस तन्हाई भारी जिंदगी मैं खुद को ही बताना पड़ता है, तो मैंने ये तय किया कल से रोज सुबह टहलने जाऊंगा स्वास्थ्य पर ध्यान दूंगा, खुद के लिए ना सही अपनी बेटी के लिए जियूँगा, फिर काम ख़त्म करके मै वापस थैला टांगे घर की ओर चला, रिक्शा बस मेट्रो से होकर घर पहुंच गया ...

घर और मन की बात

अपने घर और मन की बात साझा ना करना दूसरे जन के साथ, सुनेंगे लोग बेमन के साथ       और  औरों को बताएँगे fun के साथ  इसलिए  अपने घर और मन की बात, रखना सिर्फ अपने तन के साथ,  सहनी पड़े चाहे चुभन के साथ |                (महेंद्र शांबिष्ट )

हर कोई रो रहा है?

कोई रो रहा औलाद के लिए कोई रो रहा माँ बाप के लिए                 कोई रो रहा रिश्तों के लिए                 कोई रो रहा किस्तों के लिए कोई रो रहा कैश के लिए कोई रो रहा टैक्स के लिए                   कोई रो रहा खाने के लिए                 कोई रो रहा पचाने के लिए कोई रो रहा सत्ता के लिए कोई रो रहा भत्ता के लिए                कोई रो रहा कमाने के लिए                कोई रो रहा गवाने के लिए    कोई रो रहा मसाले के लिए   कोई रो रहा मीठे के लिए                    कोई रो रहा हित के लिए                   कोई रो रहा परिचित के लिए  कोई रो रहा आरक्षण के लिए कोई रो रहा शिक्षण के लिए                कोई रो र...

बेटे की दिल बात विवाह के बाद 😊

     बेटा बहुत अच्छा था ,  माँ बाप कि आँखों में बसता था,                          मैं भाई बहुत अच्छा था, बहनो कि नजर में नजराना था                              तो भाई के लिए फरिस्ता था, जैसे ही एक अच्छा पति बनने कि कोशिस कि  पता नहीं क्यों मैं सब रिश्तों में सबसे ख़राब हो गया,                         जैसे जूस के बीच शराब हो गया,                         शाकाहारी भोज के बीच कबाब हो गया, हर किसी को ख़ुश करने का मेरे ऊपर दवाब हो गया, हर तरह के लांछन का मेरी तरफ बहाव हो गया,                   अंदुरनी चोटों से मेरे दिल पर बहुत बड़ा घाव हो गया,                    बिन कस्ती कि मैं नाव हो गया, खुशियाँ का जिंदगी से ठहराव हो गय...