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(अतीत,भविष्य,वर्तमान 3 दोस्तों से बात )

अतीत से बातें =😊 अतीत बोला मेरे बाद कैसे हो रहे हैँ दिन व्यतीत और ताने देने लग गया की क्या हुआ अब क्यों मुझे याद कर रहा है, जब तेरे पास था तू तो बस उस बेवफा कल के बारे में ही सोचता था,बहुत कुछ सुनाया 😪 वर्तमान से बातें =😊 वो बेचारा खुद ही परेशान  हताश पता नहीं क्यों, पर ये भी कह रहा था भाई जीले मेरे साथ अच्छे से,मत रह उस बेवफा भविष्य के चक्कर में बहुत कुछ कहा उसने भी 😪 भविष्य से बातें 😊= भविष्य डरा डरा कर दिलासा दे रहा था की आजा मै सब सही कर दूंगा,  पलक झपकते ही एहसास हुआ भविष्य नाम का तो कोई दोस्त ही नहीं है मेरा ये तो बस खयाल था वापस मुड़कर देखा तो अतीत और वर्तमान काफ़ी पीछे जा चुके थे और मै बीच में फंस गया था अब समझ आया सही कहते थे अतीत और वर्तमान की भविष्य बेवफा है धोखा जरूर देगा, अगर अतीत और वर्तमान से तुम वफ़ा ना करोगे , साथ तब देगा भविष्य जब वर्तमान से वफ़ा करोगे 🙏 (महेंद्र बिष्ट 

क्या समझेंगे?

बातें न समझ पाए जो वो ख़ामोशी क्या समझगे,                       आँखों का रोना ना समझ पाए जो                       वो दिल का रोना क्या समझेंगे, भरी जेब में ना समझ पाए जो, वो खाली जेब में क्या समझेंगे                       अकेले में ना पहचान पाए जो                       वो भीड़ में क्या पहचान पाएंगे, पाँव में लगी चोट पर लंगड़ा कहने लगे जो वो पाँव टूट जाने पर पता नहीं क्या कहेँगे,                       बर्गर पिज़्ज़ा में ख़ुश नहीं जो                       वो नमक रोटी में क्या ख़ुश रहेंगे अपने माँ बाप को ना समझ सके जो वो दूसरों के माँ बाप को क्या समझेंगे                      खुद की औलाद को ना समझ सके जो     ...

आधुनिक युग की आम जिंदगी

आधुनिक युग की आम जिंदगी रिक्शा ऑटो 🛺 मेट्रो🚇 बस 🚎और मोबाइल 📲 ये चीज जिंदगी के पहिये हो गए हैं रिक्शे की तरह गली गली से धके खाकर मैंन रोड पर बस जैसे जाम में फंस गया हूँ, मेट्रो की तरह बिना आराम किये वही से  वापस दूसरे काम पर जा रहा हूँ Mobile की तरह हर चीज को पसंद हो या  नापसंद स्टोर कर रहा हूँ, जहां मिले मौका खुद को थोड़ा चार्ज भी कर रहा हूं 😪 दुखी मन में थोड़ा हौसला भर रहा हूं, रोज जीने की एक नयी उम्मीद लेकर फिर से कमाने जा रहा हूं खुद को तो भूल गया हूं पर परिवार के लिए कुछ करना है  इसी उम्मीद में जिए जा रहा हूं 🫣😪 मै परेशान  हर दिन को  मोबइल रिक्शे से शुरू और मोबाइल रिक्शे पर ही ख़त्म कर रहा हूं 🙏     (महेंद्र बिष्ट )

(औरों से क्या उम्मीद करूँ)

मेरी आँखों को मै खुद नहीं देख पाया तो औरों से क्या उम्मीद करू मेरी बातों को मै खुद नहीं सुन पाया तो औरों से क्या उम्मीद करूँ मेरे दिल  से मै खुद दिल  ना लगा पाया तो औरों को क्या उम्मीद करूँ, मै खुद को खुद की आदत ना बना पाया,तो औरों से क्या उम्मीद करूँ मै खुद से खुद को ना जगा पाया तो औरों से क्या उम्मीद करू, मेरा दर्द मै खुद नहीं समझ पाया तो औरों से क्या उम्मीद करू  मै खुद की जिंदगी का मूल्य ना समझ सका तो औरों से क्या उम्मीद करूँ |   (महेंद्र सिंह बिष्ट)