कोई रो रहा औलाद के लिए कोई रो रहा माँ बाप के लिए कोई रो रहा रिश्तों के लिए कोई रो रहा किस्तों के लिए कोई रो रहा कैश के लिए कोई रो रहा टैक्स के लिए कोई रो रहा खाने के लिए कोई रो रहा पचाने के लिए कोई रो रहा सत्ता के लिए कोई रो रहा भत्ता के लिए कोई रो रहा कमाने के लिए कोई रो रहा गवाने के लिए कोई रो रहा मसाले के लिए कोई रो रहा मीठे के लिए कोई रो रहा हित के लिए कोई रो रहा परिचित के लिए कोई रो रहा आरक्षण के लिए कोई रो रहा शिक्षण के लिए कोई रो र...
मेरे मृत शरीर पर रोने वालों ये तो बता दो कब मुझ से हंस कर बात की थी, कब मुझ से बेमतलब बात की थी, कब मेरी ख़ुशी में शामिल, मेरे दुख में साथ थे, मृत मेरा शरीर है आत्मा तो जिन्दा है मै सुन लूंगा अब तो बता दो 🙏 की कब मुझे नीचा दिखाने की कोशिस नहीं की थी, कब मुझे पराया सा महसूस नहीं करवाया था, जेब खाली मेरी थी मुझ से पहले तुम्हे कैसे पता चल जाता था और तुम्हारा मेरे प्रति व्यबहार बदल जाता था कब तुमने मुझे अपना भाई, बेटा, बाप,पडोसी, अन्य जो भी रिश्ता था वो माना था, आज क्यों रो रहे हो, क्यों दुनिया को झूठा प्यार दिखा रहे हो, मृत शरीर ही तो है उठाओ और जला डालो कहानी ख़त्म. पर याद रखना मै तो चला गया, पर अगर सच में किसी के जाने से रोना आता है और दुख होता है तो जीते जी किसी का दिल मत दुखाना जीते जी दुख दुख में साथ देना, रिश्ते निभाने हैं तो जीते जी निभाओ वरना मरने पर तो अजनबी भी दुखी 😪मन से हाथ 🙏जोड़ लेता है अर्थी के सामने| ...
मेरी आँखों को मै खुद नहीं देख पाया तो औरों से क्या उम्मीद करू मेरी बातों को मै खुद नहीं सुन पाया तो औरों से क्या उम्मीद करूँ मेरे दिल से मै खुद दिल ना लगा पाया तो औरों को क्या उम्मीद करूँ, मै खुद को खुद की आदत ना बना पाया,तो औरों से क्या उम्मीद करूँ मै खुद से खुद को ना जगा पाया तो औरों से क्या उम्मीद करू, मेरा दर्द मै खुद नहीं समझ पाया तो औरों से क्या उम्मीद करू मै खुद की जिंदगी का मूल्य ना समझ सका तो औरों से क्या उम्मीद करूँ | (महेंद्र सिंह बिष्ट)
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