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आर्थिक हिंसा (एक बढ़ती समस्या )

आर्थिक हिंसा (एक बढ़ती समस्या ) बढ़ती आर्थिक हिंसा का कौन जिम्मेदार? मर्द हो रहे हैँ आर्थिक हिंसा के शिकार, हर तरफ से सिर्फ आर्थिक हिंसा की मार, समझने को कोई नहीं है तैयार, हालात हो गये हैँ इतने बेकार, हर रोज दिल के दौरे या आत्महत्या के मिल रहे हैँ समाचार, मॉडर्न युग में इच्छाएं हो गयी है इतनी बेसुमार  आज का खाना घर में पड़ा है पर कल और परसों के लिए तड़पाया जा रहा है हर बार, कानून का फायदा उठाने के लिए याद आ जाता है ऐसे औरतों को अपना नारी अधिकार, , और निभाने को रिश्ते, भूल गए हैँ ये अपने संस्कार, आखिर कौन है बढ़ती आर्थिक हिंसा का जिम्मेदार, कानून प्रणाली या पश्चिमी संस्कृति,  हर रोज सुबह उठने से लेकर सोते सोते भी आज मर्द को  झेलना पड़ता है आर्थिक अत्यचार, सब कुछ instant instant होते होते, सब कुछ instant ही चाहिए, कोई नहीं है सब्र करने को तैयार,  इसी घटिया समाज की सोच में पिस गया भाई अतुल सुभाष, और कई ऐसे होंगे जो घुट घुट कर मन में चुप रहने का करते हैँ प्रयास, और खुद के सिवा किसी और को नहीं होने देते हैँ इसका आभास, हम दिल से शर्मिंदा हैँ हमारे भाई अतुल सुभाष, आपको मिलेगा पू...